Friday 21 June 2013

क्या यही प्यार है ?


तुम, तुम प्यार की बात कर रहे हो 
सुनो तुम्हारे मुंह से यह प्यार व्यार की बातें अच्छी नहीं लगती (जानेमन)  
तुम जानते भी हो प्यार होता क्या है ? 
प्यार ज़िंदगी में केवल एक बार होता है दोस्त 
बारबार नहीं,   
तो भला फिर तुम्हें 
प्यार करने का हक़ ही कहाँ रह जाता है
प्यार करने वाले कभी दो नावों में सवार नहीं होते 
प्यार तो वो करते हैं जो अपनी जुबान के पक्के होते है 
तुम्हारी तरह फरेबी और मतलबी नहीं 
एक बे पेंदी के लोटे की तरह 
कि जब मन किया प्यार का दामन थम लिया 
और जब जी चाह ऐसे भुला दिया जैसे जानते ही नहीं ...
मगर प्यार, प्यार तो कोई मजबूरी नहीं है, 
प्यार तो ईश्वर की पूजा है, खुदा की इबादत है, 
ज़िंदगी का मक़सद है, आत्मा की शांति है 
पर फिर भी कभी तुमने अपनी ज़िंदगी और प्यार में से कभी  
अपने प्यार को नहीं चुना, एक पल के लिए भी नहीं,
जैसे वो प्यार नहीं पाप हो तुम्हारा  
जबकि, मैंने तो तुम्हें सदा अपने दिल की गहराइयों से चाहा, 
तुमसे प्यार किया, यहाँ तक के सब कुछ 
अपना मैंने तुम पर वार दिया न सिर्फ अपना तन,मन,धन 
अपितु अपने लिए अपने परिवार का प्यार, उनका विश्वास
सब कुछ, सिर्फ तुम्हारा साथ पाने के लिए 
मैंने उन सबको भूला दिया जिनकी वजह से आज मैं हूँ
मेरा वजूद है,      
पर बदले में तुमने मुझे क्या दिया 
विश्वास घात, दर्द, दूरियाँ, तन्हाइयाँ, 
पराया होने का एहसास 
माना कि प्यार में कोई शर्त नहीं होती (जाने तमन्ना) 
यह भी माना कि प्यार में, प्यार के बदले प्यार ही मिले 
यह भी ज़रूरी नहीं
मगर यह सब तभी तक ठीक और सही लगता है ना 
जब प्यार एक तरफा हो मगर हमारे बीच तो ऐसा नहीं था 
फिर तुम्ही कहो क्या यही प्यार है...    

16 comments:

  1. बहुत सुन्दर......सुन्दर विवेचना की है प्यार की।

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  2. प्यार का बहुत प्रभावी और सुन्दर विश्लेषण....

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  3. प्रेम दोतरफा हो तो प्यार के बदले प्यार जरूर मिलना चाहिए ...
    तभी प्रेम पनपता है ..

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  4. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (23-06-2013) के चर्चा मंच -1285 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  5. प्यार की ठीक व्याख्या की आपने । सच, प्यार मेँ कोई शर्त नहीँ होती । प्यार केवल प्यार होताहै । बधाई

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  6. खुबसूरत आत्मिक प्यार को दर्शाती रचना जहाँ प्रेम, समर्पण, निष्ठा ईश्वर की पूजा सदृश्य वाह बहुत खूब

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  7. बेहद भावपूर्ण रचना...
    और सही भी..

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  8. सुन्दर भाव ...सुन्दर विवेचना प्रेम शुद्ध हो हर तरफ हो ....
    ..जय श्री राधे ..बधाई
    भ्रमर ५

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  9. दिलविल प्‍यारव्‍यार वाकई बड़े समझने की बात है। ज्‍यादातर लोग इसे समझ नहीं पाए हैं।

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  10. मननीय पोस्ट है ..
    शुभकामनायें ..

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  11. पहले बताओ उसने क्या जवाब दिया?????
    उसके लिए प्यार क्या है????

    :-)
    प्यार के धागे में उलझाती रचना....
    बहुत सहज,बहुत अच्छी है..
    अनु

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    1. वही जो मैंने लिखा उसने प्यार को नहीं चुना...
      बेवफ़ा कहीं का ;-)

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